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Wednesday, 14 February 2018

VALANTINES DAY SPECIAL: अमर प्रेम कहानी का साक्षी गूजरी महल

गूजरी महल: जब ग्वालियर के राजा को भा गई थी ग्वालिन

इतिहास कि अनोखी प्रेम कहानी और क्षत्रियों का उत्द्धरण
ग्वालियर शहर के बाहर बनाया गया गूजरी महल राजा मानसिंह तोमर और उनकी गूजर पत्नी मृगनयनी के अमर प्रेम का प्रतीक है। कहा जाता है कि राजा मानसिंह किसी काम से जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक ग्वालन (मृगनयनी) दिखाई दी। ग्वालन बहुत सुंदर होने के साथ साथ चतुर भी थी। अत: राजा के मन को तुरंत भा गई

ये चित्र ग्वालियर के गूजरी महल का है जो इतिहास कि शानदार इमारतो में से एक हैं ।

राजपूत राजा राजा मान सिहं तोमर और गुज्जर जाति कि एक आम लडकी ‘ मृगनयनी ‘ की ।
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उन दिनों अक्सर मुगलों के आक्रमण होते रहते थे। सिकन्दर लोदी और गयासुद्दीन खिलजी ने कई बार ग्वालियर के किले पर धावा किया, पर वे सफल न हो सके। तब उन्होने आसपास के गांवो को नष्ट कर उनकी फसलें लूटना शुरू कर दिया। उन्होने कई मन्दिरों को तोड-फोड डाला और लोगों को इतना तंग किया कि वे हमेशा भयभीत बने रहते। खासकर स्त्रियों को बहुत ही भय रहता। उन दिनों औरतों का खूबसूरत होना खतरे से खाली न रहता। कारण, मुगल उनपर आंखें लगाए रहते थें। गांवों की कई सुन्दर, भोली लडकिंया उनकी शिकार हो चुकी थी।
ऐसे समय में ग्वालियर के पास राई नामक गांव में एक गरीब गुज्जर किसान के यंहा निन्नी नामक एक सुन्दर लडकी थी। सिकन्दर लोदी के आक्रमण के समय उसके माता-पिता मारे गए थें और अब एक भाई के सिवा उसका संसार में कोई न था। वहीं उसकी रक्षा और भरण-पोषण करता था। उनके पास एक कच्चा मकान और छोटा-सा खेत था, जिसपर वे अपनी गुजर करते थे। दोनों भाई-बहिन शिकार में निपुण थें और जंगली जानवार मारा करते थे। दोनों अपनी गरीबी में भी बडे खुश रहते और गांव के सभी सामाजिक और धार्मिक कार्यों में हिससा लेते रहते थे। उनका स्वभाव और व्यवहार इतना अच्छा था कि पूरा गांव उन्हे चाहता था।

धीरे-धीरे निन्नी के अनुपम भोले सौन्दर्य की खबर आसपास फैलने लगी और एक दिन मालवा के सुल्तान गयासुद्दिन को भी इसका पता लग गया। वह तो औरत और शराब के लिए जान देता ही था। उसने झट अपने आदमियों को बुलवाया और राई गांव की खूबसूरत लडकी निन्नी गूजरी को अपने महल में लाने के लिए हुक्म दिया। अन्त में दो घुडसवार इस काम के लिए चुने गए। सुल्तान ने उनसे साफ कह दिया कि यदि वे उस लडकी को लाने में कामयाब न हुए तो उनका सिर धड से अलग कर दिया जाएगा। और यदि वे उसे ले आए तो उन्हें मालामाल कर दिया जाएगा।
निन्नी गूजरी अपनी एक सहेली के साथ जंगल में शिकार को गई थी। उस दिन शाम तक उन्हें कोई शिकार नहीं मिला और वे निराश होकर लौटने ही वाली थी कि उन्हे दूर झाडी के पास कुछ आहट सुनाई दी। लाखी थककर चूर हो गई थी इसलिए वह तो वहीं बैठ गई, किन्तु निन्नी अपने तीर और भालों के साथ आगे बढ गई। झाडी के पास पहूंचने पर उसने शिकार की खोज की, पर उसे कुछ नजर नहीं आया। वह लौटने ही वाली थी कि फिर से आहट मिली। उसने देखा कि झाडी के पास एक बडे झाड के पीछे से दो घुडसवार निकले और उसकी ओर आने लगे। पहले तो निन्नी कुछ घबराई, किन्तु फिर अपना साहस इकट्ठा कर वह उनका सामना करने के लिए अडकर खडी हो गई। जैसे ही घुडसवार उससे कुछ कदम दूरी पर आए, उसने कडकती हुई आवाज हुई आवाज में चिल्लाकर कहा, तुम कौन हो और यहाँ क्यों आए हो ? दोनों सवार घोडो पर से उतर गए। उनमें से एक ने कहा, हम सुल्तान गयासुद्दीन के सिपाही है, और तुम्हे लेने आए हैं। सुल्तान तुम्हे अपनी बेगम बनाना चाहता है। सवार के मुंह से इन शब्दों के निकलते ही निन्नी ने अपना तीर कमान पर चढा उसकी एक आँख को निशाना बना तेजी से फेंका। फिर दूसरा तीर दूसरी आँख पर फेंका, किन्तु वह उसकी हथेली पर अडकर रह गया, क्योंकि सवार के दोनों हाथ आखों पर आ चुके थे। इसी बीच दूसरा सवार घोडे पर चढकर तेजी से वापस लौटने लगा। निन्नी ने उसपर पहले भाले से और फिर तीरों से वार किया। वह वहीं धडाम से नीचे गिर गया। पहले सवार की आंखों से रक्त बह रहा था। निन्नी ने एक भाला उसकी छाती पर पूरी गति से फेंका और चीखकर वह भी जमीन पर लोटने लगा। फिर निन्नी तेजी से वापस चल पडी और हांफती हुई लाखी के घर पहुंची। लाखी पास के नाले से पानी पीकर लौटी थी और आराम कर रही थी। निन्नी से घुडसवारों का हाल सुन, उसके चेहरे का रंग उड गया। किन्तु निन्नी ने उसे हिम्मत दी और शिघ्रता से वापस चलने को कहा।

दूसरे दिन पूरे राई गांव में निन्नी की बहादुरी का समाचार बिजली की तरह फैल गया। ग्वालियर के राजपूत राजा मानसिंह तोमर को भी इस घटना की सूचना मिली। वे इस बहादुर लडकी से मिलने के लिए उत्सुक हो उठे। उसके बाद तो जो भी आदमी राई गांव से आते वे इस लडकी के बारे में अवश्य पूछते। एक दिन गांव का पूजारी मन्दिर बनवाने की फरियाद ले मानसिंह के पास पहुंचा। उसने भी निन्नी की वीरता के कई किस्से राजा को सुनाए। राजा को यह सुनकर बडा आश्चर्य हुआ कि निन्नी अकेली कई सूअरों और अरने-भैंसों को केवल तीरों और भालों से मार गिराती है। अन्त में मानसिंह ने पुजारी के द्वारा गांव में संदेशा भेज दिया कि वे शीघ्र ही गांव का मन्दिर बनवाने और लोगों की हालत देखने राई गांव आएंगे।

राजा के आगमन की सूचना पाते ही गूजरों में खुशी की लहर फैल गई। हर कोई उनके स्वागत की तैयारियों में लग गया। लोगों ने अपने कच्चे मकानों को छापना और लीपन-पोतना शुरू कर दिया। जिनके पास पैसे थे उन्होने अपने लिए उस दिन पहनने के लिए एक जोडा नया कपड बनवा लिया। किन्तु जिनके पास पैसे नहीं थे उन्होने भी नदी के पानी में अपने पुराने फटे कपडों को खूबसाफकर लिया और उत्सुकता से उस दिन की राह देखने लगे। आखिर वह दिन आ ही गया। उस दिन हर दरवाजे पर आम के पतो के बंदनवार बांाधे गए और सब लोग अपने साफ कपडो को पहन, गांव के बाहर रास्ते पर राजा के स्वागत के लिए जमा हो गए। सामने औरतों की कतारें थी। वे अपने सिर पर मिटी के घडे पानी से भरकर रखे थी। और उनपर मीठे तेल के दीये जल रहे थे। सबके सामने निन्नी को खडा किया गया था, जो एक थाली में अक्षत, कुमकुम, फूल और आरती उतारने के लिए घी का एक दीया रखे हुए थी। उसने मोटे, पर साफ कपडे पहने थे। उसके बाजू से गांव का पुजारी था तथा बाकी पुरूष पंक्ति बनाकर औरतों के पीछे खडे हुए थे। जैसे ही राजा की सवारी पहुंची, पूरे गांव के लोगों ने मिलकर एक स्वर से उनकी जय-जयकार की। फिर पुजारी ने आगे बढकर पहले उनका स्वागत किया। उनके भाल पर हन्दी और कुमकुम का टीका लगाया और माला पहनाई। राजा ने ब्राहण के पैर छुए और पुजारी ने उन्हें आर्शीवाद दिया। इसके बाद पुजारी ने राजा को निन्नी का परिचय दिया। निन्नी सिर झुकाए खडी थी। उसने झट कुमकुम, अक्षत राजा के माथे पर लगाया। फूल उनकी पगडी पर फेंके और आरती उतारने लगी। मानसिंह की दृष्टि निन्नी के भोले चेहरे पर अटकी हुई थी। आरती समाप्त होते ही मानसिंह ने देखा कि निन्नी के फेंके फूलों मे से एक जमीन पर गिर पडा हैं। उन्होने झुककर उसे उठाया और अपनी पगडी में खोंस लिया। कई स्त्रियों ने यह दृश्य देखा और आपस में एक दूसरे की तरफ देखते हुए मुस्कराने लगी। विशेषकर लाख चुप न रह सकी और उसने निन्नी को चिमटी देकर चुफ से कान में कह हि दिया-’’राजा ने तुम्हारी पूजा स्वीकार कर ली हैं। अब तो तू जल्दी ही ग्वालियर की रानी बनेगी।‘‘ निन्नी के गोरे गालों पर लज्जा की लालिमा छा गई। ‘चल हट!‘ कहकर वह भीड में खो गई और राजा मन्दिर की ओर चल पडे।

मन्दिर के पास ही राजा का पडाव डाला गया। रात्रि के समय लोगों की सभा में राजा ने मन्दिर बनवाने के लिए पांच हजार रुपयों के दान की घोषणा की। गांव में कुआं खुदवाने तथा सडक सुधारने के लिए दस हजार रुपये देने का वायदा किया। अंत में राजा ने गांव के लोगों को मुगलों से सतर्क रहने और उनका सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने सबके सामने निन्नी की सुनी हुई बहादुरी की भी तारीफ की और दूसरे दिन निन्नी के जंगली जानवरों के शिकार को देखने की इच्छा प्रकट की। पुजारी ने निन्नी के भाई अटल की ओर इशारा किया। अटल ने बिना निन्नी से पूछे खडे होकर स्वीकृति दे दी। इसके बाद बहुत रात तक भजन-कीर्तन हुआ और फिर लोग अपने-अपने घर चले गए।

दुसरे दिन शिकार की तैयारियां हुई। राजा मानसिंह के लिए एक मचान बनाया गया। निन्नी ने अपने सब हथियार साफ करके उन्हें तेज किया। बीच-बीच में निन्नी विचारों में खो जाती। कभी ग्वालियर की रानी बनने की मधुर कल्पना उसे गुमशुदा जाती तो कभी अपने एकमात्र प्रिय भाई का ख्याल, गांव का सुखी, स्वतंत्र जीवन, सांक नदी का शीतल जल, और जंगल के शिकार का आनन्द उसे दूसरे संसार में ले जाते। इसीसमय अटल ने तेजी से घर में प्रवेश किया और निन्नी को जल्दी चलने के लिए कहा। राजा ने जंगल की ओर निकल चुके थं। इसी समय लाखी भी आ गई और निन्नी लाखी के साथ शिकार के लिए चल पडी। कुछ हथियार निन्नी रखे थी और कुछ उसने लाखी को पकडा दिए थे।

जंगल में राजा के आदमी ढोल पीट रहे थे, ताकि जानवर अपने छिपे हुए स्थानों से बाहर निकल पडें। राजा मानसिंह मचान पर बैठे थे। निन्नी और लाखी एक बडे झाड के नीचे खडी हुई थी। थोडी देर के बाद हिरण-परिवार झाडी से निकला और भागने लगा। निन्नी ने एक तीर जोर से फेंका, जो मादा हिरण को लगा, और वही वगिर पडी। नरहिरण तेजी से भगा, पर निन्नी ने उसे भी मार गिराया । इसके बाद निनी ने दौडकर दो हिरण के बच्चों ाके , जो अकेले बच गए थे, उठा लिया और गोद में रखकर झाड के नीचे ले आई। मानसिंह ने यह दृश्य देखा और मन ही मन निन्नी के कोमल हदय की प्रशंसा करने लगे। इसके बाद तो एक-एक करके कई जंगली जानवर बाहर निकले और निनी ने कभी तरों और कभी भलों से उन्हे पहले ही प्रयत्न में मार गिराया। फिर एक बडा जंगली अरना भैंसा निकला। निनी ने पूरी ताकत से दो तीर फेंके, जो सीधे भैंस के शरीर को भेद गए। किन्तु वह गिरा नहीं। घायल होने के कारण वह क्रोध में आकर चिघाडता हुआ निन्नी की ओर झपटा। मानसिंह ने अपनी बदूंक निकाल ली और वे भैंसे पर गोली चलाने ही वाले थे कि उन्होंने देखा-निन्नी ने दौडकर अरने भैसें के सींग पकड लिए है और पूरा जोर लगाकर वह उन्हे मरोड रही है। फिर बिजली की सी गति से उसने एक तेज भाला उसके माथे पर भोंक दिया। भैंसा अतिंम बार जोर से चिघाडा और जमीन पर गिर पडा।

मानसिंह मचान से उतरे और सीधे निनी के पास गए। उन्होंने अपने गले से कीमती मोती की माला उतारी और उसे निन्नी के गले में पहना दी। निन्नी ने झुककर राजा को प्रणाम किया और एक ओर हो गई। लाखी ने देखा, राजा और निन्नी चुप खडे हैं। वह जानवरों के शरीरों से तीर और भाले निकालने का बहाना कर वहंा से खिसक गई। तब मानसिंह ने निन्नी का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा, ’’शक्ति और सौन्दर्य का कैसा सुन्दर मेल है तुममें ! निन्नी, सचमुच तुम तो ग्वालियर के महल मे ही शोभा दोगी। क्या तुम मुझसे विवाह करने के लिए तैयार हो?‘‘ निन्नी के पास जवाब देने के लिए शब्द ही नहीं थें। वह क्षण भर मोन रही ! फिर अत्यंत नम्र और भोले स्वर में बोली-’’ फिर मुझे गांव का यह सुन्दर स्वतंत्र जीवन कहां मिलेगा ! वहां मुझे शिकार के लिए जंगल और जानवर कहां मिलेंगे; और यह सांक नदी; जिसका शीतल जल मुझे इतना प्यारा लगता है वहां कहां मिलेगा? मानसिंह जो निन्नी का हाथ अभी भी अपने हाथों में रखे थे, बोले, ’’तुम्हारी सब इच्छाए वहां भी पूरी होगी। निन्नी, केवल वचन दो, मैं तुम्हारे लिए सांक नदी को ग्वालियर के महल तक ले जा सकता हूँ।‘‘ निन्नी अब क्या कहती। वह चुप हो गई। और मानसिंह उसके मौन का अर्थ समझ गए। इसी समय अटल और अन्य लोग वहां पहुंचे और निन्नी का हाथ छोड राजा मानसिंह उनमें मिल गए।

उसी दिन संध्या समय मानसिंह ने पुजारी के द्वारा अटल गुज्जर के पास निन्नी से विवाह का प्रस्ताव भेजा। पहले अटल विश्वास न कर सका, किन्तु जब स्वंय मानसिंह ने उससे विवाह की बात कही, तब तो अटल की खुशी का ठिकाना न रहा। दूसरे ही दिन विवाह होना था। अटल इंतजाम मे लग गया। लोग उससे पूछते कि वह पैसा कहाँ से लाएगा और इतना बडा ब्याह कैसे करेगा? अटल गर्व से जवाब देता, ’’मै कन्या दूंगा और एक गाय दूंगा। सूखी हल्दी और चावल का टीका लगाऊगा। घर में बहुत से जानवरों के चमडे रखे हैं उन्हे बेचकर बहन के गले के लिए चांदी की एक हसली दुंगा और क्या चाहिए?‘‘ मानसिंह ने अटल की कठिनाईया सुनी तो उसे सदेंशा भेजा कि वे ग्वालियर से शादि करने को तैयार है और दोनों तरफ का खर्चा भी वे पूरा करेंगे।इससे अटल के स्वाभिमान को बड धक्का पहुंचा। उसने तुरन्त संदेशा भेजा कि उसे यह बात मंजूर नहीं। आज तक कहीं ऐसा नहीं हुआ कि लडकी को लडके के घर ले जाकर विवाह किया गया हो गरीब से गरीब लडकी वाले भी अपने घर में ही लडकी का कन्यादान देते हैं। इस पर मानसिंह चुप हो गए।
अटल ने रात भर जागकर सब तैयारिया की। उसने जंगल से लडकी और आम के पते लाकर मांडप बनाया अनाज बेचकर कपडे का एक जोडा निन्नी के लिए तैयार किया तथा गांव वालों ाके बांटने के लिए गुड लिया। इस तरह दूसरे दिन वैदिक रीति से राजा मानसिंह और निन्नी का ब्याह पूरा हुआ। गांव के लोगों से जो कुछ बन पडा उन्होने निन्नी को दिया। विदा के समय निन्नी अटल से लिपटकर खूब रोई। उसने रोते हुए कहा, ’’भैया अब लाखी को भाभी बनाकर जल्दी घर ले आओं तुम्हे बहुत तकलीफ होगी।‘‘ भाई ने उसे आश्वासन दिया और इस प्रकार निनी भाई की झोपडी को छोड ग्वालियर के महल के लिए रवाना हो गई।
विवाह के बाद महल कि राजपूत राणियो ने गुज्जर जाति कि रानि का विरोध किया इसी कारण राणा जी मे ” गुजरी महल ” का निर्माण करवाया ।

यही गूजर किसान की लडकी निन्नी, जिसका नाम असल में मृगनयनी था, ग्वालियर की गूजरी रानी के नाम से इतिहास में प्रसिद्ध हुई। उसमें जैसी सौन्दर्य की कोमलता थी, वैसी ही शूर वीरता भी थी। राजा मानसिंह उसे बहुत ही चाहते थे और कुछ समय तक ऐसा लगा कि राजा उसके पीछे पागल है किन्तु निन्नी ने उन्हे हमेशा कर्तव्य कि और प्रेरित किया वह सव्य संगित व चित्रकला सिखने लगी जिससे उसका समय व्यस्त रहता और मानसिंह भी उस समय अपने राज्य के कार्यो में लगे रहते युद्व के समय निन्नी हमेशा मानसिंह को उत्साहित कर प्रजा के रक्षा के लिए तत्पर रहती इस प्रकार निन्नी सचमुच एक योग्य कुशल रानी सिद्व हुई उसने राज्य में सगींत, चित्र, कला, शिल्पकला को प्रोत्साहन करना बैजू नामक प्रसिद्व गायक ने किसी समय नई-नई राग-रागिनाए बनाई थी ग्वालियर में बने हुए मान मन्दिर और गूजरी महल आज भी उस समय की उन्नत शिल्पकला के नमूने है राई गांव से गूजरी महल तक बनी हुई नहर जिसमें सांक नदी का जल ग्वालियर तक ले जाया गया था आज भी दिखाई देता है।

इनके पुत्र को क्षत्रिय राजपूतों मे शामिल नहीं किया । क्योकि क्षत्रिय वो है जो एक क्षत्राणि की कोख से जन्मा हो।
मृगनयनी से दो पुत्र हुए जिन्हें लेकर गुर्जरी महल छोड़ टिगड़ा के जंगलो में चली गयी उन्होंने एक नया गोत्र अपनाया जो आज गुर्जुर में आता है …^तोंगर^ जिसका अर्थ यह है
तोमर+गुर्जर = तोंगर
इसलिए मृग्नयनि पुत्र को कुछ जागीर देकर गूजरों मे शामिल किया गया।
ये राजपूत राजा मानसिंह तोमर के गूजरी पत्नी के वंशज आज तोंगर गुज्जर कहलाते हैं और तोमर राजपूतो को चुनाव में समर्थन कर उनके प्रति सम्मान दिखाते हैं।

इसी तरह राजपूत पुरुशों के दूसरी जाति की महिल/सम्बन्ध से उन जातियों में चौहान तोमर गहलौत परमार सोलँकि वंश चले हैं।ये राजपूतों की उदारता को भी प्रदर्शित करता है।
इस प्रकार राजपूत राजा की गूजरी रानी निन्नी/मृगनयनी ने ग्वालियर के तौमर राज्य में चार चांद जोड दिए और उस काल को इतिहास में अमर कर दिया।

नोट-हिसार हरियाणा का गूजरी महल एक मुस्लिम सुल्तान ने अपनी गूजरी प्रेमिका के लिए बनवाया था वो ग्वालियर के गूजरी महल से अलग है।इसमें भृमित न हों।


Tuesday, 13 February 2018

Money Really Matters



5 things to do with your money

There are individuals who have huge surplus money, but they really don ‘t knows what to do with it or how to put it to better use.


There are individuals who have huge surplus money, but they really don’t know what to do with it or how to put it to better use. While these individuals may attract the envy of many, we believe owning money and not knowing what to do with it can be quite an unenviable situation. On the other hand, there are some investors, who don’t have a great deal of surplus money at their disposal yet are in complete control of their finances. These individuals seem to be in the driver’s seat as far as their finances are concerned and should in fact be envied instead.

While most of you would find it a little difficult to digest that there are investors who have the money but don’t know what to do with it, but that’s the truth. Don’t believe us, just look around and see the number of people with the latest gizmos, iPhone, cars, clothes and consumer goods. What’s wrong with that? Nothing at all! It’s a free world and you can own anything and everything that your finances permit you to. Do this small test, when you see someone flashing his latest iPhone or some gizmo, ask him if he has planned for his retirement, or whether he has a financial plan in place to pay for his child’s college fees 10 years down the line. Chances are that person will be keener on discussing ‘relevant’ points like the features of his latest iPhone rather than dwell on the ‘irrelevant’ issues raised by you.

To be sure, these issues (like the features of a latest iPhone) are anything but irrelevant. But money has that effect on people, it makes them want to rush towards the immediate and ignore the future. So, you have more iPhone being bought than financial plans being prepared.

So, although it’s good to have money, it’s equally important to know what to do with it. We list 5 most critical tasks individuals must accomplish with their money.

1. Do your tax planning
If you are liable to pay tax, tie up your tax planning exercise. As a law-abiding citizen paying taxes is most important and so investing promptly in the right avenue to save tax assumes importance too. An individual can save tax up to Rs 100,000 by investing in tax-saving investment avenues. These avenues range from the traditional Public Provident Fund (PPF), National Saving Certificate (NSC) and life insurance to the more dynamic tax saving mutual funds (Equity Linked Saving Schemes - ELSS). These avenues not only help in tax planning but if selected well can also help individuals achieve their long-term financial goals.

2. Plan now for your retirement

A common regret for most of us in our twilight years (apart from not having exercised enough) is our poor savings and investment track record. Most individuals wish they had saved either better or more. Planning for retirement is one thing that individuals across age groups must take up on priority. Of course, if you start at an early stage it’s even better, but the fact is it’s never too late to set aside some money for retirement.
What makes retirement planning so important for us to list it second in our ‘to do’ list? The answer to that question is the inflation. Inflation is what usually leads to a rise in prices of goods and services. If you are wondering why oil, the gas cylinder, toothpaste, eggs and even ‘idli Sāmbhar’ costs a lot more than what it used to even 5 years ago, blame it on inflation. So, planning earlier on in your life is a solution. Calculations show that even a 5-year delay in investing (Rs 10,000 annually at 10%) can make a substantial difference (as high as 40%) to your retirement corpus.
3. Get yourself insured

Life today has become a lot more uncertain than ever before. Therefore, taking life insurance is another objective that should rank high in the priority list of all individuals. Simply put, the purpose of life insurance is to indemnify the nominees/dependents of the insured against an eventuality. So, life insurance must form an integral part of the individual’s financial planning exercise. In addition to life insurance, individuals should also be equipped with adequate medical insurance.

Note that we haven’t mentioned life insurance while discussing tax planning in an earlier point. This is because it’s time insurance got its due as an independent entity unlinked to anything but your life. Our advice is don’t mix the two, don’t chase tax benefits while taking a life cover.

There are broadly three types of life insurance plans; term plan, endowment plan and ULIPs (Unit- Linked Insurance Plans), available at investor’s disposal. While ULIPs are not an ideal avenue to take life cover, term plans, the cheapest and most effective form of life insurance are best suited for this purpose.
4. Prepare yourself for contingencies

Contingencies/emergencies never announce their arrival. But that does not mean we close our minds to the possibility of their intrusion in our lives. As always, the best way to deal with such a situation is to provide for it well in advance. Such situations could possibly arise out of an accident / operation that is either not covered by Mediclaim or exceeds the Mediclaim limit or it could be another expense that you have provided for (like a buying a house) which actually falls short at the time of purchase. At times like these, having a contingency fund can prove to be a boon. How do you know how much to save for contingencies? While there is no formula for the same, having 10%-15% of your entire portfolio in low risk investments should arm you adequately during a contingency.

5. Don’t forget charity

Even before Bill Gates and Warren Buffet began doing it, charity was always necessary. If you have the money, it’s only fitting that you share some of it with the less or under privileged. Although some charities qualify for tax benefits, our advice is you ignore them and just focus on giving some money away without worrying about how you can benefit from it one way or another.
3 must-know money tips for young professionals

It’s not rocket science. Neither does it entail you living like a monk. Just follow these three tips and you are building a solid foundation.

Avoid credit card debt:

It’s time you stopped your intense love affair with your credit card or else you will rapidly be sucked into a black hole called the debt trap. It starts off as a convenience, more of a stop-gap arrangement. You pay just the bare minimum amount and walk scot free. But as you well know, or will soon learn, there is no free lunch.

Remember this. When you use your card, you pay for an item with money that is not yours. So basically, you enjoy life on borrowed money. This instant gratification can put you on a slippery slope. If you have started revolving credit, which means that you could not afford to pay your monthly bill, then the only way out of this ditch is to stop using your card till your debt is cleared.

Let’s say you are revolving your debt at a rate of 2.75%/month. This works out to an obscene 33% pa which will rapidly eat into your disposable income and dramatically hinder your savings potential. And, it will not be just the debt that you are servicing. Every single purchase you make on that card will result in the interest rate being levied.
The way out:

·         Once you start revolving debt, make it a priority to clear it
·         Stop using your card for additional spending once you are in debt
·         If you are struggling, talk to the bank and see if they are open to negotiating the interest rate

Get medically insured:

Numerous illnesses and accidents are pretty much age agnostic. So, don’t live under the deluded notion that you do not need medical insurance. Should you need it and not have it, you will watch your savings rapidly disintegrate. 
Granted, you may have a medical insurance provided by your employer. But what if you quit your job or get handed the pink slip and between jobs you fall ill or meet with an accident? What if you decide to become a consultant and the employers no longer provide medical insurance?
Get a medical cover. The younger you are, the lesser your premium so you won’t even feel the pinch. Not to mention the tax benefit. You can claim deduction from total income under Section 80D of the Income Tax Act, 1961, against premium paid towards the policy.

What’s good:

·         Existing illnesses are excluded from the cover, so being young with no pre-existing ailments gives you a complete coverage
·         When you are young you will not have to take a health check-up to qualify
·         The more years go by without you making a claim, the greater your claim bonus

Start investing:

The longer you wait, the more you lose. 
You have time on your side today, this benefit won’t last forever.

Let’s say you invest Rs 1 lakh to withdraw when you are 70. By delaying your investment by just a few years, you pay a heavy cost. Here’s how it will pan out.