Globalwits

Monday, 19 February 2024

बाणासुर कृत शिव स्तोत्र

राजा बलि के सबसे बड़े पुत्र बाणासुर हुए जो महान शिवभक्त थे । उनकी राजधानी केदारनाथ के पास स्थित शोणितपुर थी । बाणासुक के हजार हाथ थे । जब ताण्डव नृत्य के समय शंकरजी लय पर नाचते, तब बाणासुर हजार हाथों से बाजे बजाते थे ।

इनकी सेवा से प्रसन्न होकर भवानीपति शिव ने वर मांगने को कहा । बाणासुर ने भगवान शिव से वर मांगा—‘जैसे भगवान विष्णु मेरे पिता के यहां सदा विराजमान रहकर उनकी पुरी की रक्षा करते हैं, उसी प्रकार आप भी मेरी राजधानी के पास निवास करें, और मेरी रक्षा करते रहें ।’

भगवान शिव ने ‘तथास्तु’ कहकर बाणासुर के नगर के निकट रहना स्वीकार कर लिया । बाणासुर को ‘महाकाल’ की पदवी और साक्षात् पिनाकपाणि भगवान शिव की समानता प्राप्त हुई । वह महादेवजी का सहचर हुआ ।


|| बाणासुर कृत शिव स्तोत्र ||

वन्दे सुराणां सारं सुरेशं नीललोहितम् |

योगीश्वरं योगबीजं योगिनां गुरोर्गुरुम् || ||

ज्ञानानन्दं ज्ञानरूपं ज्ञानबीजं सनातनम् |

तपसां फलदातारं दातारं सर्वसम्पदाम् || ||

तपोरूपं तपोबीजं तपोधनधनं वरम् |

वरं वरेण्यं वरदमीड्यं सिद्धगणैर्वरैः || ||

कारणं भुक्तिमुक्तिनां नरकार्णवतारणम् |

आशुतोषं प्रसन्नास्यं करुणामयसागरम् || ||

हिमचन्दनकुन्देन्दुकुमुदाम्भोजसन्निभम् |

ब्रह्मज्योतिःस्वरूपं भक्तानुग्रहविग्रहम् || ||

विषयाणां विभेदेन बिभ्रन्तं (बिभ्रतं) बहुरूपकम् |

जलरूपं अग्निरूपं आकाशरूप मीश्वरम् || ||

वायुरूपं चन्द्ररूपं सूर्यरुपं महत्प्रभुम् |

आत्मनः स्वपदं दातुं समर्थमवलीलया || ||

भक्तजीवनभीशं भक्तानुग्रहकातरम् |

वेदा शक्ता यं स्तोतुं किमहं स्तौमि तं प्रभुम् || ||

अपरिच्छिन्नमीशानमहो वाङ्मनसोः परम् | व्याघ्रचर्माम्बरधरं वृषभस्थं दिगम्बरम् |

त्रिशूलपट्टिशधरं सस्मितं चन्द्रशेखरम् || ||

इत्युक्त्वा स्तवराजेन नित्यं बाणः सुसंयतः |

प्रणमेच्छङ्करं भक्त्या दुर्वासाश्च मुनीश्वरः || १० ||

|| फलश्रुतिः ||

इदं दत्तं वसिष्ठेन गन्धर्वाय पुरा मुने

कथितं महास्तोत्रं शूलीनः परमाद्भुतम् || ११ ||

इदं स्तोत्रं महापुण्यं पठेद्भक्त्या यो नरः |

स्नानस्य सर्वतीर्थानां फलमाप्नोति निश्चितम् || १२ ||

अपुत्रो लभते पुत्रं वर्षमेकं श्रुणोति यः |

संयतश्च हविष्याशी प्रणम्यशङ्करं गुरुम् || १३ ||

गलत्कुष्ठी महाशुली वर्षमेकं शृणोति यः |

अवश्यं मुच्यते रोगाद्व्या सवाक्यमिति श्रुतम् || १४ ||

कारागारेऽपि बद्धो यो नैव प्राप्नोति निर्वृतिम् |

स्तोत्रं श्रुत्वा मासमेकं मुच्यते बन्धनाद् ध्रुवम् || १५ ||

भ्रष्टराज्यो लभेद्राज्यं भक्त्या मासं शृणोति यः |

मासं श्रुत्वा संयतश्च लभेद्भ्रष्टधनो धनम् || १६ ||

यक्ष्मग्रस्तो वर्षमेकमास्तिको यः शृणोति चेत् |

निश्चितं मुच्यते रोगाच्छङ्करस्य प्रसादतः || १७ ||

यः श्रुणोति सदा भक्त्या स्तवराजमिमं द्विज |

तस्यासाध्यमं त्रिभुवने नास्ति किंचिच्च शौनक || १८ ||

कदाचिद्बन्धुविच्छेदो भवेत्तस्य भारते |

अचलं परमैश्वर्य्यं लभते नात्र संशयः || १९ ||

सुसंयतोऽतिभक्त्या मासमेकं शृणोति यः |

अभार्य्यो लभते भार्य्यां सुविनितां सतीं वराम् || २० ||

महामूर्खश्चदुर्मेधो मासमेकं शृणोति यः |

बुद्धिं विद्यां लभते गुरुपदेशमात्रतः || २१ |

कर्मदुःखी दरिद्रश्च मासं भक्त्या शृणोति यः |

ध्रुवं वित्तं भवेत्तस्य शङ्करस्य प्रसादतः || २२ ||

इह लोके सुखंभुक्त्वा कृत्वा कीर्तिं सुदुर्लभाम् |

नानाप्रकारधर्मं यात्यन्ते शङ्करालयम् || २३ ||

पार्षदप्रवरो भूत्वा सेवते तत्र शङ्करम् |

यः शृणोति त्रिसन्ध्यं नित्यं स्तोत्रमनुत्तमम् || २४ ||

|| शिव स्तोत्रम सम्पूर्णम ||

बाणासुर द्वारा की गई भगवान शिव की स्तुति के पाठ का फल

▪️ इस स्तुति का भक्तिभाव से पाठ करने पर सभी तीर्थों में स्नान का फल मिलता है

▪️ पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाला मनुष्य यदि एक वर्ष तक संयमपूर्वक रहकर सात्विक भोजनकर इस स्तोत्र का पाठ करे, तो उसकी पुत्रप्राप्ति की अभिलाषा अवश्य पूरी होती है

▪️ कोढ़, राजयक्ष्मा (टी बी) या पेट के रोग होने पर एक वर्ष तक इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य इन रोगों से मुक्त हो जाता है

▪️ जो मनुष्य किसी भी प्रकार कैद में रहकर अशान्त हो वह यदि एक माह तक इस स्तोत्र का पाठ करे तो हर प्रकार का बंधनमुक्त हो जाता है

▪️ जिसका धन-ऐश्वर्य छिन गया हो, निर्धन हो, वह इस स्तोत्र का एक मास तक पाठ करे तो उसे धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति हो जाती है

▪️ इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को अपने बंधु-बांधवों के वियोग का दुख नहीं होता है

▪️ सुन्दर  सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिए इस स्तोत्र का एक मास तक भक्तिभाव से पाठ करना चाहिए

▪️ मूर्ख और दुर्बुद्धि मनुष्य इस स्तोत्र का यदि नित्य पाठ करे तो उसे बुद्धि और विद्या की प्राप्ति हो जाती है ▪️भगवान शंकर की भक्तिभाव से पूजा कर इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य के लिए इस संसार में कुछ भी असाध्य नहीं रह जाता है वह दुर्लभ कीर्ति प्राप्त करता है अनेक प्रकार के धर्म-कर्म कर वह इस लोक में सुख भोगकर अंत में भगवान शंकर के धाम को जाता है, और वहां शिव पार्षद बनकर भगवान शिव की सेवा करता है



Saturday, 17 February 2024

औषधि – रोग – मन्त्र

आयुर्वेद में मंत्र चिकित्सा को विशेष स्थान प्राप्त है। आयुर्वेदिक शास्त्र में मंत्रों से बीमारी ठीक करने के कई तरीके बताए गए हैं। गौर करने वाली बात ये है कि धर्म ग्रंथों में जितने भी मंत्र हैं भले ही वह अलग-अलग प्रयोगों के लिए हों लेकिन आयुर्वेदिक पद्धति के अनुरूप उन मंत्रों का इस्तेमाल इलाज के दौरान किया जा सकता है।

प्रत्येक मन्त्र से रोग मुक्ति मिल सकती है। बस उस मन्त्र को नियमित रूप से जपे, और उसकी ऊर्जा को अपने शरीर के चक्रों में जोड़ ले। कोई विशेष मन्त्र या अनुष्ठान नहीं चाहिए इसके लिए। चाहिए केवल किसी एक मन्त्र पर विश्वास, और उसका नियमित जाप।

औषधि लाभ : जब रोग मैं किसी भी औषधि से लाभ न प्राप्त हो रहा हो या अत्यंत ही धीमे धीमे असर प्राप्त हो रहा हो, तब इस मंत्र से अभि मंत्रित करके उस रोगी को औषधि खिलाये आशातीत लाभ होगा,
मंत्र : ॐ नमो महा विनाकाय अमृतं रक्ष रक्ष , मम फल सिद्धिं देहि रूद्र वचनेन स्वाहा ||

औषधि प्रभावशीलता वर्धक मन्त्र : किसी भी रोगी को औषधि देने से पूर्व, उस औषधि पर इस मन्त्र को पढ़ते हुए 8 बार फूंक मारने से वह औषधि अधिक प्रभावशाली हो जाती है। औषधि के गुण धर्म में वृद्धि हो जाती है।

ओइम् ह्नीं सर्वते श्रीं क्लीं सर्वोषधि प्राणदायिनी नै़ऋत्ये नमोनमः स्वाहा।

स्व उन्नति के लिए : हम में से कौन अपनी उन्नति नहीं चाहता हैं पर कैसे हो ये सब इसके लिए साधनाए अनेकों हैं

ॐ नमो भगवती त्रिलोचनं त्रिपुरं देवी अन्जन्नी में कल्याणं में कुरु कुरु स्वाहा ||

कुंडलिनी जागरण शाबर मंत्र :  मंत्र जाप से शरीर के आंतरिक 7 चक्र शक्ति जागृत होती हैंऔर  कालान्तर से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है, जप करते समय मंत्र अपने शरीर में गूंज रहा है ऐसी कल्पना करें।

ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम शिव शासनतः,शिव शासनतः,शिव शासनतः।

कुंडलिनी चक्र जागरण मंत्र – Kundalini Awakening Mantra 

मूलाधार चक्र – ॐ लं परम तत्वाय गं ॐ फट “
स्वाधिष्ठान चक्र – ॐ वं वं स्वाधिष्ठान जाग्रय जाग्रय वं वं ॐ फट “
मणिपुर चक्र – ॐ रं जाग्रनय ह्रीम मणिपुर रं ॐ फट “
अनाहत चक्र “ ॐ यं अनाहत जाग्रय जाग्रय श्रीं ॐ फट “
विशुद्ध चक्र – ॐ ऐं ह्रीं श्रीं विशुद्धय फट “
आज्ञा चक्र – ॐ हं क्षं चक्र जगरनाए कलिकाए फट “
सहस्त्रार चक्र ॐ ह्रीं सहस्त्रार चक्र जाग्रय जाग्रय ऐं फट “

दांत दर्द निवारण के लिए : भोजन करने के उपरान्त हाथ मैं जल लेकर इस मंत्र को सात बार पढ़े फिर इसी अभिमंत्रित जल से कुल्ला कर ले, सात बार करें ओर आप इसी प्रकिर्या को प्रतिदिन करें , आप इस मंत्र के चमत्कारिक परिणाम देख कर आश्चर्य चकित हो जायेंगे.

काहे रिसियाए हम तो हैं अकेला , तुम हो बत्तीस बार हमजोला,
हम लाये तुमबैठे खाओ , अन्तकाल में संग ही जाओ .

चर्म रोग के लिए मंत्र :

ॐ हंस: संज्ञित त्रिकुटीश आदि सुरेश्वर उत्कटासना क्रीं श्रीं सर्वतोभद्रये नम: |

शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं

जन्‍मान्‍तर पापं व्‍याधिरूपेण बाधते। तच्‍छान्तिरौषधप्राशैर्जपहोमसुरार्चनै:।।

दवा का काम करता है ये मंत्र :

ॐ अपां पतये वरुणाय नमः॥

महाशक्तिशाली मंत्र : दवाई को हाथ में लेकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करें और हाथ में रखी दवाई पर फूंक मारे, इस प्रकार 3 बार मंत्र का उच्चारण और 3 बार ही दवाई पर फूंक मारे । इस अभिमंत्रित दवाई को बीमार व्यक्ति को तुरंत खीला दें । परिणाम कुछ ही घंटों में दिखाई देने लगेगा ।

ऊँ याते रुद्र शिवातनुः शिवा व्विश्स्वाहा भेषजी

शिवा रुतस्य भेषजी तयानो मृड जीवसे ।।

निरोगी रहने का मंत्र : यदि इस मंत्र का नियमित जाप किया जाए तो व्यक्ति सदैव निरोगी रहता है।

क्क जूं सः माम्पालय पालय सः जूं क्क’

वायुरोगों के नाश के लिए हनुमानजी के मन्त्र : इस मन्त्र का ज्यादा-से-ज्यादा जप करने का प्रयत्न करना चाहिए । रात-दिन मानसिक जप भी कर सकते हैं । या प्रतिदिन केवल रात में भोजन का नियम लेकर एक सौ आठ बार जप करें तो मनुष्य छोटे-मोटे रोगों से छूट जाता है ।

हनुमान अंजनीसूनो वायुपुत्र महाबल ।
अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तु ते ।।

चक्रों को चैतन्य करने का मंत्र :

‘‘विष्णु रं स्तुवन्नामसहस्त्रेण ज्वरान् सर्वनपोहति।’’

‘‘अच्युतानंद गोविंद नामोच्चारणभेषजात। नश्यन्ति सकलारोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।’’

तनाव के कारण नींद नहीं आती या फिर रात में चौंक कर उठ जाते हैं तो सोने से पहले ये मंत्र

अंग संग वाहेगुरु

अच्छी सेहत के लिए सिर्फ एक छोटे से मंत्र का जाप करें। ये मंत्र है

सोहम

ॐ अश्विनी कुमाराय नमः।।

किन-किन परिस्थितियों में जपें भगवान विष्णु के नाम


1. दवाई लेते समय जपें- विष्णु
2.
भोजन करते समय जपें- जनार्दन
3.
सोते समय जपें- पद्मनाभ
4.
शादी-विवाह के समय जपें- प्रजापति
5.
युद्ध के समय - चक्रधर 
6.
यात्रा के समय जपें- त्रिविक्रम 
7.
शरीर त्यागते समय जपें- नारायण 
8.
पत्नी के साथ जपें- श्रीधर
9.
नींद में बुरे स्वप्न आते समय जपें- गोविंद 
10.
संकट के समय जपें- मधुसूदन
11.
जंगल में संकट के समय जपें- नृसिंह 
12.
अग्नि के संकट के समय जपें- जलाशयी 
13.
जल में संकट के समय जपें- वाराह 
14.
पहाड़ पर संकट के समय जपें- रघुनंदन
15.
गमन करते समय जपें- वामन 
16.
अन्य सभी शेष कार्य करते समय जपें- माधव
 

वहीं भगवान विष्णु के इन 8 नामों को प्रतिदिन प्रातःकाल, मध्यान्ह और सायंकाल में जपने से कई प्रकार के संकट दूर होते हैं। भगवान विष्णु के इन नामों का वर्णन वामन पुराण में है।  


विष्णोरष्टनामस्तोत्रं

अच्युतं केशवं विष्णुं हरिम सत्यं जनार्दनं।
हंसं नारायणं चैव मेतन्नामाष्टकम पठेत्।
त्रिसंध्यम य: पठेनित्यं दारिद्र्यं तस्य नश्यति।
शत्रुशैन्यं क्षयं याति दुस्वप्न: सुखदो भवेत्।
गंगाया मरणं चैव दृढा भक्तिस्तु केशवे।
ब्रह्मा विद्या प्रबोधश्च तस्मान्नित्यं पठेन्नरः।
इति वामन पुराणे विष्णोर्नामाष्टकम सम्पूर्णं।


असम्भव को सम्भव बनाती हैं मंत्र चिकित्सा

असाध्य साधक स्वामिन, असाध्य तव किंवद I
राम दूत कृपा सिंधो, मत्कार्यं साध्यप्रभो II





Friday, 16 February 2024

NFO ALERT: INVEST WITH EASE IN JUST 2 MINUTES

SBI ENERGY OPPORTUNITIES FUND 

The fund will invest in companies across the entire energy spectrum, including traditional sectors like oil & gas and utilities, as well as new energy segments like solar and wind power. The (NFO) is open for subscription from February 6 to 20, 2024, with a minimum investment of Rs 5,000.

The scheme may invest up to US $25 million in Overseas securities and invest up to US $10 million in Overseas ETFs.

HOW TO INVEST


• Investors can scan QR code.
• Enter PAN and OTP.
• Provide folio details.
• Enter additional details and complete the transaction.


Investing has never been so easy before!!!