आयुर्वेद में मंत्र चिकित्सा को विशेष स्थान प्राप्त है। आयुर्वेदिक शास्त्र में मंत्रों से बीमारी ठीक करने के कई तरीके बताए गए हैं। गौर करने वाली बात ये है कि धर्म ग्रंथों में जितने भी मंत्र हैं भले ही वह अलग-अलग प्रयोगों के लिए हों लेकिन आयुर्वेदिक पद्धति के अनुरूप उन मंत्रों का इस्तेमाल इलाज के दौरान किया जा सकता है।
प्रत्येक
मन्त्र से रोग मुक्ति मिल सकती है। बस उस मन्त्र को नियमित रूप से जपे, और उसकी ऊर्जा
को अपने शरीर के चक्रों में जोड़ ले। कोई विशेष मन्त्र या अनुष्ठान नहीं चाहिए इसके
लिए। चाहिए केवल किसी एक मन्त्र पर विश्वास, और उसका नियमित जाप।
औषधि लाभ : जब रोग मैं किसी भी औषधि
से लाभ न प्राप्त हो रहा हो या अत्यंत ही धीमे धीमे असर प्राप्त हो रहा हो, तब इस मंत्र से अभि मंत्रित
करके उस रोगी को औषधि खिलाये आशातीत लाभ होगा,
मंत्र : ॐ नमो महा विनाकाय
अमृतं रक्ष रक्ष , मम फल सिद्धिं देहि रूद्र वचनेन स्वाहा ||
औषधि प्रभावशीलता वर्धक मन्त्र : किसी
भी रोगी को औषधि देने से पूर्व, उस
औषधि पर इस मन्त्र को पढ़ते हुए 8 बार
फूंक मारने से वह औषधि अधिक प्रभावशाली हो जाती है। औषधि के गुण धर्म में वृद्धि
हो जाती है।
ओइम् ह्नीं सर्वते
श्रीं क्लीं सर्वोषधि प्राणदायिनी नै़ऋत्ये नमोनमः स्वाहा।
स्व उन्नति के लिए : हम में से कौन अपनी उन्नति नहीं चाहता हैं पर कैसे हो ये सब इसके लिए साधनाए अनेकों हैं
ॐ नमो भगवती त्रिलोचनं त्रिपुरं देवी अन्जन्नी में कल्याणं में कुरु कुरु स्वाहा ||
कुंडलिनी
जागरण शाबर मंत्र : मंत्र जाप से शरीर के आंतरिक 7 चक्र शक्ति जागृत होती हैंऔर कालान्तर से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है, जप करते समय मंत्र अपने शरीर में गूंज रहा है ऐसी
कल्पना करें।
ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम शिव शासनतः,शिव शासनतः,शिव शासनतः।
कुंडलिनी चक्र जागरण मंत्र – Kundalini Awakening Mantra
मूलाधार चक्र – “ ॐ लं परम तत्वाय गं ॐ फट “
स्वाधिष्ठान
चक्र – “ ॐ वं वं स्वाधिष्ठान जाग्रय जाग्रय वं वं ॐ फट “
मणिपुर
चक्र – “ ॐ रं जाग्रनय ह्रीम मणिपुर रं ॐ फट “
अनाहत
चक्र – “ ॐ यं अनाहत जाग्रय जाग्रय श्रीं ॐ फट “
विशुद्ध
चक्र – “ ॐ ऐं ह्रीं श्रीं विशुद्धय फट “
आज्ञा
चक्र – “ ॐ हं क्षं चक्र जगरनाए कलिकाए फट “
सहस्त्रार
चक्र – “ ॐ ह्रीं सहस्त्रार चक्र जाग्रय जाग्रय ऐं फट “
दांत दर्द निवारण के लिए : भोजन करने के उपरान्त हाथ मैं
जल लेकर इस मंत्र को सात बार पढ़े फिर इसी अभिमंत्रित जल से कुल्ला कर ले, सात बार करें ओर आप इसी प्रकिर्या को प्रतिदिन करें , आप इस मंत्र के चमत्कारिक परिणाम देख कर आश्चर्य
चकित हो जायेंगे.
काहे
रिसियाए हम तो हैं अकेला , तुम हो बत्तीस बार हमजोला,
हम लाये तुमबैठे खाओ , अन्तकाल
में संग ही जाओ .
चर्म रोग के लिए मंत्र :
ॐ हंस: संज्ञित त्रिकुटीश आदि सुरेश्वर उत्कटासना क्रीं श्रीं सर्वतोभद्रये
नम: |
शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं
जन्मान्तर पापं व्याधिरूपेण बाधते। तच्छान्तिरौषधप्राशैर्जपहोमसुरार्चनै:।।
दवा का काम करता है ये मंत्र :
ॐ अपां पतये वरुणाय नमः॥
महाशक्तिशाली
मंत्र : दवाई को हाथ में लेकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए उपरोक्त
मंत्र का उच्चारण करें और हाथ में रखी दवाई पर फूंक मारे, इस प्रकार 3 बार
मंत्र का उच्चारण और 3 बार ही दवाई पर फूंक मारे । इस
अभिमंत्रित दवाई को बीमार व्यक्ति को तुरंत खीला दें । परिणाम कुछ ही घंटों में
दिखाई देने लगेगा ।
ऊँ याते रुद्र शिवातनुः शिवा व्विश्स्वाहा भेषजी
शिवा रुतस्य भेषजी तयानो मृड जीवसे ।।
निरोगी रहने का मंत्र : यदि इस मंत्र का नियमित
जाप किया जाए तो व्यक्ति सदैव निरोगी रहता है।
‘क्क जूं सः माम्पालय पालय सः जूं क्क’
वायुरोगों के नाश के लिए
हनुमानजी के मन्त्र : इस
मन्त्र का ज्यादा-से-ज्यादा जप करने का प्रयत्न करना चाहिए । रात-दिन मानसिक जप भी
कर सकते हैं । या प्रतिदिन केवल रात में भोजन का नियम लेकर एक सौ आठ बार जप करें
तो मनुष्य छोटे-मोटे रोगों से छूट जाता है ।
हनुमान अंजनीसूनो
वायुपुत्र महाबल ।
अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तु ते ।।
चक्रों को चैतन्य करने का मंत्र :
‘‘विष्णु रं स्तुवन्नामसहस्त्रेण ज्वरान्
सर्वनपोहति।’’
‘‘अच्युतानंद गोविंद नामोच्चारणभेषजात। नश्यन्ति सकलारोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।’’
तनाव के कारण नींद नहीं आती या फिर रात में चौंक कर उठ जाते हैं तो सोने से
पहले ये मंत्र
अंग
संग वाहेगुरु
अच्छी सेहत के लिए सिर्फ एक छोटे से मंत्र का जाप करें।
ये मंत्र है
॥ सोहम ॥
ॐ अश्विनी कुमाराय नमः।।
किन-किन परिस्थितियों में जपें भगवान विष्णु के नाम
1. दवाई लेते समय जपें- विष्णु
2. भोजन करते समय जपें- जनार्दन
3. सोते समय जपें- पद्मनाभ
4. शादी-विवाह के समय जपें- प्रजापति
5. युद्ध के समय - चक्रधर
6. यात्रा के समय जपें- त्रिविक्रम
7. शरीर त्यागते समय जपें- नारायण
8. पत्नी के साथ जपें- श्रीधर
9. नींद में बुरे स्वप्न आते समय जपें- गोविंद
10. संकट के समय जपें- मधुसूदन
11. जंगल में संकट के समय जपें- नृसिंह
12. अग्नि के संकट के समय जपें- जलाशयी
13. जल में संकट के समय जपें- वाराह
14. पहाड़ पर संकट के समय जपें- रघुनंदन
15. गमन करते समय जपें- वामन
16. अन्य सभी शेष कार्य करते समय जपें- माधव
वहीं भगवान विष्णु के इन 8 नामों को प्रतिदिन प्रातःकाल, मध्यान्ह और सायंकाल में जपने से कई प्रकार के संकट
दूर होते हैं। भगवान विष्णु के इन नामों का वर्णन वामन पुराण में है।
विष्णोरष्टनामस्तोत्रं
अच्युतं केशवं विष्णुं हरिम सत्यं जनार्दनं।
हंसं नारायणं चैव मेतन्नामाष्टकम पठेत्।
त्रिसंध्यम य: पठेनित्यं दारिद्र्यं तस्य नश्यति।
शत्रुशैन्यं क्षयं याति दुस्वप्न: सुखदो भवेत्।
गंगाया मरणं चैव दृढा भक्तिस्तु केशवे।
ब्रह्मा विद्या प्रबोधश्च तस्मान्नित्यं पठेन्नरः।
इति वामन पुराणे विष्णोर्नामाष्टकम सम्पूर्णं।
असम्भव
को सम्भव बनाती हैं मंत्र चिकित्सा
असाध्य साधक स्वामिन, असाध्य तव किंवद I
राम दूत कृपा सिंधो, मत्कार्यं साध्यप्रभो II
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