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Monday, 5 May 2025

मन को शांत रखने के लिए शक्तिशाली मंत्र

मंत्रों से बुद्धि और मस्तिष्क का विकास होता है, मन में शांति और सात्विकता आती है नैतिक और धार्मिक मूल्यों को स्थापित किया जाता है।

मन को शांत रखने के लिए मेडिटेशन (Meditation) के साथ साथ कुछ खास मंत्रों का जाप किया जा सकता है. इन मंत्रों में इतनी शक्ति होती है कि यह न सिर्फ आपके मन को शांत रख सकते हैं बल्कि स्ट्रेस, एंग्जाइटी (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression) जैसी समस्याओं को भी दूर कर सकते हैं.

मंत्रों का जाप कैसे करें:

शांत स्थान:

एक शांत जगह पर बैठें जहां आपको कोई विघ्न न हो।

ध्यान:

अपने सांसों पर ध्यान दें और अपने मन को शांत करें।

जाप:

मंत्र का धीरे-धीरे और स्पष्ट रूप से जाप करें। आप इसे मन ही मन या आवाज में भी बोल सकते हैं।

नियमितता:

मंत्रों का नियमित रूप से जाप करें, क्योंकि नियमित अभ्यास से मन शांत और तनावमुक्त होता है।

मन को शांत रखने के लिए इन मंत्रों का करें जाप

1. गायत्री मंत्र 
ॐ भूर्भुवः स्वः, तत्सवितुर्वरेण्यम्, भर्गो देवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात्

2. महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्रम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्!!

3. गणेश मंत्र
वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ।

निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा ।।

 

4. विष्णु मंत्र
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः।।

 

5. ब्रह्मा मंत्र
ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा, नमस्ते परमात्ने ।
निर्गुणाय नमस्तुभ्यं, सदुयाय नमो नम:।।

6. कृष्ण मंत्र
वसुदेवसुतं देवं, कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकी परमानन्दं, कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।।

7. राम मंत्र
श्री रामाय रामभद्राय, रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय, सीताया पतये नमः ।।

8. दुर्गा मंत्र
ॐ जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री, स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।

9. महालक्ष्मी मंत्र
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न संशयःॐ ।।

10. सरस्वती मंत्र
ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।

11. महाकाली मंत्र
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं, हलीं ह्रीं खं स्फोटय, क्रीं क्रीं क्रीं फट ।।

12. हनुमान मंत्र
मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्य।।

13. शनि मंत्र
नीलांजन समाभासं, रविपुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तण्डसम्भूतं, तं नमामि शनैश्चरम्।।

14. कार्तिकेय मंत्र
ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा, वल्लीईकल्याणा सुंदरा।
देवसेना मन: कांता, कार्तिकेया नामोस्तुते।।

15.काल भैरव मंत्र 
ॐ ह्रीं वां बटुकाये, क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये।
कुरु कुरु बटुकाये, ह्रीं बटुकाये स्वाहा।।

16. स्वयं रक्षा मंत्र

सदा भवानी दाहिनी गौरी पुत्र गणेश पाँच देव रक्षा करें, ब्रह्मा, विष्णु, महेश

    17.  ज्ञान और सकारात्मक ऊर्जा के लिए मंत्र

   ॐ मणि पद्मे हुं: 

18. परिवार की सुख-शांति के लिए मंत्र

ॐ शृंग ॐ रिंग श्रृंग रिंग कलिंग सिद्धेस्वरए नमः

19. सभी प्रकार के पापों का नाश के लिए मंत्र

नामसङ्कीर्तनं यस्य सर्वपापप्रणाशनम् ।
प्रणामो दु:खशमनस्तं नमामि हरिं परम् ॥
 

वैदिक शांति मंत्र | यजुर्वेद शांति पाठ

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षं शान्ति:
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:
सर्वं शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥
॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥

निष्कर्ष:

मन की शांति के लिए मंत्रों का जाप एक प्रभावी और शक्तिशाली तरीका है। इन मंत्रों का नियमित जाप करने से आप अपने मन को शांत और तनावमुक्त रख सकते हैं। मन को शांत और आनंदित करने का सर्वश्रेष्ठ मंत्र है "अपने काम से काम रखो"|


Monday, 21 April 2025

"जीवन को स्पर्श करें"

इच्छाएं अनन्त हैं, मरने वाला चंद सांसें चाहता है, लंगड़ा को पैर चाहिए, पैर वाले को साइकिल, साइकिक वाले को बाइक, बाइक वाले को कार, और कार वाले को प्राइवेट जेट इसी तरह जो जिसके पास नहीं बस वही उसे चाहिये। जो है उसका कोई मोल नहीं, जो ईश्वर ने दिया उसका कभी आभार व्यक्त नहीं किया।

इच्छाओं का भी अपना अजीब चरित्र होता है…. खुद के मन की बहुत अच्छी दूसरे की मन की बहुत बुरी।

हम लोग तो मरते रहे क़िस्तों में हमेशा
फिर भी हमें जीने का हुनर क्यूँ नहीं आया

"सभी मानवीय कार्यों के इन सात कारणों में से एक या अधिक कारण होते हैं: संयोग, स्वभाव, विवशता, आदत, कारण, जुनून और इच्छा।" [अरस्तू]

काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से बचे, सारी सांसारिक समस्याएं इन्हीं की वजह से आती है जी, ज्यादा पैसा, ज्यादा गुस्सा, ज्यादा मोह, ज्यादा हवस और घमंड यही तो परेशानियों कि जड़ें है जी और अंत में सभी कुछ यहीं तो छोड़ कर जाना तो यह सब नहीं शुभ कर्म, शुभ सेवा, मधुर वाणी, प्रभु भक्ति यही कमाएं ।

समस्या नजर ही तब आती हैं जब हम * अपेक्षा तो करते हैं पर प्रयास में उत्सुक नहीं होते *!!

अगर आप सामने आया काम, शुरू कर देते है तो समस्या * समाधान * की तरफ बढ जाती है और समस्या नदारद!!

जीवन कठिन नहीं, हम ही हैं इसे कठिन या सहज बनाने वाले!!

जीवन में जब हमारे पास चने होते हैं तो दांत नहीं होते, और दांत होते हैं तो खाने के लिए चने नहीं होते। इसी में जीवन का मज़ा है!

"यह जिन्दगी है जनाब, मां नहीं, जो हर वक्त प्यार दे" …

पुराने समय में एक संत को रास्ते में से एक स्वर्ण मुद्रा मिली। संत बहुत विद्वान थे। उन्हें धन और सुख-सुविधाओं का मोह नहीं था। इसीलिए उन्होंने सोचा कि ये स्वर्ण मुद्रा किसी व्यक्ति को दे देंगे।

संत कई दिनों तक स्वर्ण मुद्रा के लिए सबसे गरीब व्यक्ति को खोजते रहे, लेकिन उन्हें कोई योग्य व्यक्ति नहीं मिल रहा था। तभी एक दिन संत ने देखा कि उनके राज्य का राजा पूरी सेना के साथ गुजर रहा था। संत ने पूछताछ की तो मालूम हुआ कि राजा दूसरे राज्य पर आक्रमण करने जा रहे हैं। ये बात मालूम होते ही संत ने तुरंत राजा के पास पहुंचे और राजा को वह स्वर्ण मुद्रा दे दी।

राजा ये देखकर हैरान हो गए कि एक संत उन्हें स्वर्ण मुद्रा क्यों दे रहे हैं। राजा ने इसका कारण पूछा। संत ने कहा कि कुछ दिन पहले मुझे ये मुद्रा रास्ते में मिली थी। तब मैंने सोचा था कि इसे किसी गरीब व्यक्ति को दे दूंगा। आज ये मुद्रा आपको दे रहा हूं।

ये सुनकर राजा क्रोधित हो गए। उन्होंने कि गुरुदेव मैं इस राज्य का राजा हूं, आप मुझे गरीब क्यों बोल रहे हैं?

संत बोले कि राजन् आपके पास अपार धन-संपत्ति है, किसी सुख-सुविधा की कमी नहीं है, फिर भी आप इतनी बड़ी सेना लेकर दूसरे राज्य पर अधिकार करने जा रहे हैं। संतोष ही सबसे बड़ा सुख है। जो लोग असंतुष्ट रहते हैं, उन्हें कभी भी सुख नहीं मिल पाता है। आपके पास इतना बड़ा राज्य है, लेकिन आप अंसतोष की वजह से ही दूसरे राज्य पर आक्रमण करने जा रहे हैं। आप दूसरों के धन पर अधिकार करने के युद्ध में नरसंहार करने को तैयार हैं, आपसे बड़ा गरीब कौन हो सकता है?

ये बात सुनकर राजा को अपनी गलती का अहसास हो गया। उसने संत को प्रणाम किया और सेना को वापस लौटने का आदेश दे दिया।

प्रसंग की सीख

किसी भी व्यक्ति को धन-संपत्ति से सुख नहीं मिलता है। जो लोग संतुष्ट रहते हैं, वही सुखी रहते हैं। अगर कोई धनी व्यक्ति असंतुष्ट है तो वह कभी भी सुखी नहीं हो सकता है।

जिस चाभी से ताला बंध होता है, उसी से खुल भी जाता है। मन ही समस्या पैदा करता है, मन ही समाधान है। मन ही बंधन और मुक्ति का कारण है।

"जीवन को स्पर्श करें" एक आह्वान है — wake up, feel, live, connect.
सिर्फ समय बिताने से जीवन नहीं होता... उसे छूना पड़ता है।