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Saturday, 17 February 2024

औषधि – रोग – मन्त्र

आयुर्वेद में मंत्र चिकित्सा को विशेष स्थान प्राप्त है। आयुर्वेदिक शास्त्र में मंत्रों से बीमारी ठीक करने के कई तरीके बताए गए हैं। गौर करने वाली बात ये है कि धर्म ग्रंथों में जितने भी मंत्र हैं भले ही वह अलग-अलग प्रयोगों के लिए हों लेकिन आयुर्वेदिक पद्धति के अनुरूप उन मंत्रों का इस्तेमाल इलाज के दौरान किया जा सकता है।

प्रत्येक मन्त्र से रोग मुक्ति मिल सकती है। बस उस मन्त्र को नियमित रूप से जपे, और उसकी ऊर्जा को अपने शरीर के चक्रों में जोड़ ले। कोई विशेष मन्त्र या अनुष्ठान नहीं चाहिए इसके लिए। चाहिए केवल किसी एक मन्त्र पर विश्वास, और उसका नियमित जाप।

औषधि लाभ : जब रोग मैं किसी भी औषधि से लाभ न प्राप्त हो रहा हो या अत्यंत ही धीमे धीमे असर प्राप्त हो रहा हो, तब इस मंत्र से अभि मंत्रित करके उस रोगी को औषधि खिलाये आशातीत लाभ होगा,
मंत्र : ॐ नमो महा विनाकाय अमृतं रक्ष रक्ष , मम फल सिद्धिं देहि रूद्र वचनेन स्वाहा ||

औषधि प्रभावशीलता वर्धक मन्त्र : किसी भी रोगी को औषधि देने से पूर्व, उस औषधि पर इस मन्त्र को पढ़ते हुए 8 बार फूंक मारने से वह औषधि अधिक प्रभावशाली हो जाती है। औषधि के गुण धर्म में वृद्धि हो जाती है।

ओइम् ह्नीं सर्वते श्रीं क्लीं सर्वोषधि प्राणदायिनी नै़ऋत्ये नमोनमः स्वाहा।

स्व उन्नति के लिए : हम में से कौन अपनी उन्नति नहीं चाहता हैं पर कैसे हो ये सब इसके लिए साधनाए अनेकों हैं

ॐ नमो भगवती त्रिलोचनं त्रिपुरं देवी अन्जन्नी में कल्याणं में कुरु कुरु स्वाहा ||

कुंडलिनी जागरण शाबर मंत्र :  मंत्र जाप से शरीर के आंतरिक 7 चक्र शक्ति जागृत होती हैंऔर  कालान्तर से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है, जप करते समय मंत्र अपने शरीर में गूंज रहा है ऐसी कल्पना करें।

ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम,ना गुरोरधिकम शिव शासनतः,शिव शासनतः,शिव शासनतः।

कुंडलिनी चक्र जागरण मंत्र – Kundalini Awakening Mantra 

मूलाधार चक्र – ॐ लं परम तत्वाय गं ॐ फट “
स्वाधिष्ठान चक्र – ॐ वं वं स्वाधिष्ठान जाग्रय जाग्रय वं वं ॐ फट “
मणिपुर चक्र – ॐ रं जाग्रनय ह्रीम मणिपुर रं ॐ फट “
अनाहत चक्र “ ॐ यं अनाहत जाग्रय जाग्रय श्रीं ॐ फट “
विशुद्ध चक्र – ॐ ऐं ह्रीं श्रीं विशुद्धय फट “
आज्ञा चक्र – ॐ हं क्षं चक्र जगरनाए कलिकाए फट “
सहस्त्रार चक्र ॐ ह्रीं सहस्त्रार चक्र जाग्रय जाग्रय ऐं फट “

दांत दर्द निवारण के लिए : भोजन करने के उपरान्त हाथ मैं जल लेकर इस मंत्र को सात बार पढ़े फिर इसी अभिमंत्रित जल से कुल्ला कर ले, सात बार करें ओर आप इसी प्रकिर्या को प्रतिदिन करें , आप इस मंत्र के चमत्कारिक परिणाम देख कर आश्चर्य चकित हो जायेंगे.

काहे रिसियाए हम तो हैं अकेला , तुम हो बत्तीस बार हमजोला,
हम लाये तुमबैठे खाओ , अन्तकाल में संग ही जाओ .

चर्म रोग के लिए मंत्र :

ॐ हंस: संज्ञित त्रिकुटीश आदि सुरेश्वर उत्कटासना क्रीं श्रीं सर्वतोभद्रये नम: |

शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं

जन्‍मान्‍तर पापं व्‍याधिरूपेण बाधते। तच्‍छान्तिरौषधप्राशैर्जपहोमसुरार्चनै:।।

दवा का काम करता है ये मंत्र :

ॐ अपां पतये वरुणाय नमः॥

महाशक्तिशाली मंत्र : दवाई को हाथ में लेकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करें और हाथ में रखी दवाई पर फूंक मारे, इस प्रकार 3 बार मंत्र का उच्चारण और 3 बार ही दवाई पर फूंक मारे । इस अभिमंत्रित दवाई को बीमार व्यक्ति को तुरंत खीला दें । परिणाम कुछ ही घंटों में दिखाई देने लगेगा ।

ऊँ याते रुद्र शिवातनुः शिवा व्विश्स्वाहा भेषजी

शिवा रुतस्य भेषजी तयानो मृड जीवसे ।।

निरोगी रहने का मंत्र : यदि इस मंत्र का नियमित जाप किया जाए तो व्यक्ति सदैव निरोगी रहता है।

क्क जूं सः माम्पालय पालय सः जूं क्क’

वायुरोगों के नाश के लिए हनुमानजी के मन्त्र : इस मन्त्र का ज्यादा-से-ज्यादा जप करने का प्रयत्न करना चाहिए । रात-दिन मानसिक जप भी कर सकते हैं । या प्रतिदिन केवल रात में भोजन का नियम लेकर एक सौ आठ बार जप करें तो मनुष्य छोटे-मोटे रोगों से छूट जाता है ।

हनुमान अंजनीसूनो वायुपुत्र महाबल ।
अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तु ते ।।

चक्रों को चैतन्य करने का मंत्र :

‘‘विष्णु रं स्तुवन्नामसहस्त्रेण ज्वरान् सर्वनपोहति।’’

‘‘अच्युतानंद गोविंद नामोच्चारणभेषजात। नश्यन्ति सकलारोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।’’

तनाव के कारण नींद नहीं आती या फिर रात में चौंक कर उठ जाते हैं तो सोने से पहले ये मंत्र

अंग संग वाहेगुरु

अच्छी सेहत के लिए सिर्फ एक छोटे से मंत्र का जाप करें। ये मंत्र है

सोहम

ॐ अश्विनी कुमाराय नमः।।

किन-किन परिस्थितियों में जपें भगवान विष्णु के नाम


1. दवाई लेते समय जपें- विष्णु
2.
भोजन करते समय जपें- जनार्दन
3.
सोते समय जपें- पद्मनाभ
4.
शादी-विवाह के समय जपें- प्रजापति
5.
युद्ध के समय - चक्रधर 
6.
यात्रा के समय जपें- त्रिविक्रम 
7.
शरीर त्यागते समय जपें- नारायण 
8.
पत्नी के साथ जपें- श्रीधर
9.
नींद में बुरे स्वप्न आते समय जपें- गोविंद 
10.
संकट के समय जपें- मधुसूदन
11.
जंगल में संकट के समय जपें- नृसिंह 
12.
अग्नि के संकट के समय जपें- जलाशयी 
13.
जल में संकट के समय जपें- वाराह 
14.
पहाड़ पर संकट के समय जपें- रघुनंदन
15.
गमन करते समय जपें- वामन 
16.
अन्य सभी शेष कार्य करते समय जपें- माधव
 

वहीं भगवान विष्णु के इन 8 नामों को प्रतिदिन प्रातःकाल, मध्यान्ह और सायंकाल में जपने से कई प्रकार के संकट दूर होते हैं। भगवान विष्णु के इन नामों का वर्णन वामन पुराण में है।  


विष्णोरष्टनामस्तोत्रं

अच्युतं केशवं विष्णुं हरिम सत्यं जनार्दनं।
हंसं नारायणं चैव मेतन्नामाष्टकम पठेत्।
त्रिसंध्यम य: पठेनित्यं दारिद्र्यं तस्य नश्यति।
शत्रुशैन्यं क्षयं याति दुस्वप्न: सुखदो भवेत्।
गंगाया मरणं चैव दृढा भक्तिस्तु केशवे।
ब्रह्मा विद्या प्रबोधश्च तस्मान्नित्यं पठेन्नरः।
इति वामन पुराणे विष्णोर्नामाष्टकम सम्पूर्णं।


असम्भव को सम्भव बनाती हैं मंत्र चिकित्सा

असाध्य साधक स्वामिन, असाध्य तव किंवद I
राम दूत कृपा सिंधो, मत्कार्यं साध्यप्रभो II





Friday, 16 February 2024

NFO ALERT: INVEST WITH EASE IN JUST 2 MINUTES

SBI ENERGY OPPORTUNITIES FUND 

The fund will invest in companies across the entire energy spectrum, including traditional sectors like oil & gas and utilities, as well as new energy segments like solar and wind power. The (NFO) is open for subscription from February 6 to 20, 2024, with a minimum investment of Rs 5,000.

The scheme may invest up to US $25 million in Overseas securities and invest up to US $10 million in Overseas ETFs.

HOW TO INVEST


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Tuesday, 13 February 2024

वसंत पंचमी प्राकृतिक परिवर्तन का त्योहार

इस साल बसंत पंचमी बुधवार, 14 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी

बसंतपंचमी का पर्व 14 फरवरी को है प्रकृति के इस उत्सव पर मां सरस्वती की पूजा का विधान है हर वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार मां सरस्वती की पूजा करने से साधक को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता हासिल होती है।

ऋग्वेद में माता सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है कि "प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु" अर्थात मां आप परम चेतना हो। देवी सरस्वती के रूप में आप हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हो। हममें जो आचार और मेधा है, उसका आधार मां आप ही हो. इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है।

 वसंत पंचमी का पर्व  वसंत ऋतु के आगमन के प्रतीक के रूप में मनायी जाती है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा ज्ञान पंचमी भी कहते हैं। मान्यता है कि सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा के मुख से वसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थी। पुराणों में यह उल्लेख मिलता है कि सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की पर अपने प्रारंभिक अवस्था में मनुष्य मूक था और धरती बिलकुल शांत थी। ब्रह्माजी ने जब धरती को मूक और नीरस देखा तो अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का जिससे एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। यह शक्ति सरस्वती कहलाईं। उनके द्वारा वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में कंपन हो गया और सबको शब्द और वाणी मिल गई। प्रकृति की पूजा के रूप में मनाए जाने वाले  वसंत पंचमी का विद्यार्थियों के लिए भी ख़ास महत्व है। वसंत पंचमी के अवसर पर विद्या और ज्ञान की देवी माने जानी वाली मां सरस्वती के पूजा का विशेष लाभ मिलता है एवं जीवन में शुभ की प्राप्ति होती है। इस दिन माँ सरस्वती के साथ-साथ सभी ग्रंथो, पुस्तकों और संगीत यंत्रों की भी पूजा की जाती हैं 

प्राकृतिक परिवर्तन का मनुष्य ने जिस उत्साह के साथ स्वागत किया, वही उत्साह त्योहारों के रूप में परंपरा में शामिल होता गया। ऋतुओं के परिवर्तन के नियम के साथ ही वसंत पंचमी वसंत ऋतु के आगमन की सूचना देती है। ऋतु के आगमन के साथ ही चारों ओर उल्लासमय वातावरण छा जाता है। यानी पूरे महीने उल्लास और आनंद का अहसास होता है। समशीतोष्ण मौसम हमेशा ही मनुष्य को आनंद प्रदान करता है। इस समय पंचतत्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं। जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि ये सभी सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं। मौसम और प्रकृति में मनोहारी बदलाव होते हैं। वैसे हमारे यहां भले ही सारे त्योहार एक दिन मनाए जाते हैं, पर उनके साथ जुड़े पूरे महीने का मौसम ही आनंद देने वाला हो जाता है।

वसंत आगमन के साथ ही आम की डालियों पर बौर लगना आरंभ हो जाता है। पेड़ों के पात-पात पर, लताओं के वृंत-वृंत पर हरियाली फूट पड़ती है। धरणी पुष्पों से शृंगार करती है। कोयल की कूक मन को उद्वेलित कर वातावरण में मादकता फैलाती है। वसंत मानव हृदय में कोमल-प्रवृत्तियों को जगाकर चित्त में नवजीवन, नव उत्साह, मस्ती, उमंग और आनंद प्रदान कर समस्त सृष्टि को नवयौवन की अनुभूति कराता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन कुछ खास और देवी सरस्वती के गुप्त मंत्रों का जाप करना शुभ होता है।

"या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।"

ऎं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां। सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाहा।

विद्या प्राप्ति के लिए देवी सरस्वती का ये मंत्र बहुत लाभकारी है। 

"विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।"

इस मंत्र के जप से बढ़ती है स्मरण शक्ति

शारदायै नमस्तुभ्यं, मम ह्रदय प्रवेशिनी, परीक्षायां समुत्तीर्णं, सर्व विषय नाम यथा।।

सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम: ।

सरस्वती का बीज मंत्र 'क्लीं' है।

ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।

सरस्वती सरस्वत्यै नमः।

महामाया महमायायै नमः।

श्रीप्रदा श्रीप्रदायै नमः।

ज्ञानमुद्रा ज्ञानमुद्रायै नमः।

पद्माक्षी पद्मा क्ष्रैय नमः।

इस मंत्र से दूर होगी करियर में बाधा

ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।

बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा में इस मंत्र का जप करने से बल, तेज, ज्ञान, बुद्धि आदि की प्राप्ति होती है और माता सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है। मां शारद का यह मंत्र बेहद चमत्कारिक माना जाता है। इस मंत्र के जप से करियर में आ रही बाधा दूर होती है।

शारदा शारदांभौजवदना, वदनाम्बुजे।

सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रियात्।

बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा करने के बाद इस मंत्र का जप करने से नौकरी और कारोबार में वृद्धि आती है और अच्छे संपर्क बनते हैं। इस मंत्र को तुलसी की माला से 108 बार जप करें।

"पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।" 
वसंत पंचमी पर मां सरस्वती के इस गुप्त मंत्र का 108 बार जाप करें। इस मंत्र के जाप से करियर में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती। मंत्र का जाप करते समय दो मुखी दीपक लगाकर देवी सरस्वती का स्मरण करें। 

"ह्रीं त्रीं हूं" 
 वसंत पंचमी पर दस महाविद्या की आराधना की जाती है। उसी के अंतर्गत नील सरस्वती मां का भी पूजन किया जाता है। उपरोक्त मंत्र नील सरस्वती देवी का अचूक मंत्र है। इस उपाय से आर्थिक तंगी भी दूर होती है। 

सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्

अर्थ कुन्द, चन्द्र, तुषार के हार के समान गौरवपूर्ण शुभ्र वस्त्र धारण करने वाली, वीणा के सुन्दर दण्ड से सुशोभित हाथों वाली, श्वेत कमल पर विराजित, ब्रहा, विष्णु, महेश आदि सभी देवों के द्वारा सर्वदा स्तुत्य, समस्त अज्ञान और जड़ता की विनाशनी देवी सरस्वती मेरी रक्षा करे.

क़ुदरत की बरकतें  हैं  ख़ज़ाना  बसंत  का

क्या ख़ूब  क्या  अजीब  ज़माना  बसंत  का