SUNDAY
23 May 2022
राम नाम महिमा।।
राम नाम ही क्यों ?
जब सेतु तैयार हो रहा था तो प्रभु राम ने सोचा की में भी एक पत्थर तेरा कर देखता हूँ . जैसे ही उन्होंने पत्थर को पानी में छोड़ा वो पत्थर डूब गया. प्रभु बहुत परेशान हुए . हनुमान जी ये सब देख रहे थे उन्होंने प्रभु की परेशानी को समझा और कहा की प्रभु परेशान ना होइए . सीधी सी बात है की भवसागर तो वोही पार कर सकता है जिसे आपका साथ मिले, जब आपने ही साथ छोड़ दिया तो वो तो डूबेगा ही . ये थी राम जी और राम नाम की महत्ता।।
वाल्मीकि ने सौ करोड़ श्लोकों की रामायण बनाई , तो सौ करोड़ श्लोकों की रामायण को भगवान शंकर के आगे रख
दिया जो सदैव राम नाम जपते रहते हैं . उन्होनें उसका उपदेश पार्वती को दिया . शंकर
ने रामायण के तीन विभाग कर त्रिलोक में बाँट दिया . तीन लोकों को तैंतीस - तैंतीस
करोड़ दिए तो एक करोड़ बच गया . उसके भी तीन टुकड़े किए तो एक लाख बच गया उसके भी
तीन टुकड़े किये तो एक हज़ार बच और उस एक हज़ार के भी तीन भाग किये तो सौ बच गया .
उसके भी तीन भाग किए एक श्लोक बच गया . इस प्रकार एक करोड़ श्लोकों वाली रामायण के
तीन भाग करते करते एक अनुष्टुप श्लोक बचा रह गया . एक अनुष्टुप छंद के श्लोक में
बत्तीस अक्षर होते हैं उसमें दस - दस करके तीनों को दे दिए तो अंत में दो ही अक्षर
बचे भगवान् शंकर ने यह दो अक्षर रा और म आपने पास रख लिए . राम अक्षर में ही पूरी
रामायण है , पूरा शास्त्र है .
श्रीराम नाम वंदन एवं राम नाम महिमा
१ यह तारक मंत्र हैं।
२ यह सहज, सरल है।
३ यह स्वयं सिद्ध मंत्र हैं।
४ इस को किसी भी गुरु से लेना अनिवार्य नहीं है।
५ इस को आधा अधुरा उल्टा सीधा कैसे भी जप लो।
६ इस मंत्र का लेखक जापक, अहं रहित अवस्था को
उपलब्ध हो जाता हैं।
७ बिन प्रयास सागर तरहीं। भव पार होने के लिये और कोई प्रयास नहीं
करना होता हैं।
८ राम' इस नाम मंत्र को जप कर जान लेने वाला
स्वयं ही राम हो जाता हैं।
९ इस नाम के लिखने मात्र से जड पत्थर तैर गये तो चेतन जीवों का
तिरजाना तो और भी सहज हैं।
१०- भगवान शिव भी जब किसी को मुक्त करते हैं,तो
उनको भी राम नाम का ही उपदेश करना पड़ता हैं।
११- यह मात्र नाम ही नहीं हैं, बल्कि यह महा
वाक्य भी हैं,और महामंत्र भी।
१२- जगत में किये गये किसी भी कठोरतर अपराध का प्रायश्चित शंकर
शतनाम से होजाता हैं, शंकर के प्रति किये गये अपराध का
प्रायश्चित रामनामाकंन से होजाता हैं। परन्तु रामनाम के प्रति किये गये हल्के से
अपराध का ,कोई भी प्रायश्चित हो सकता होगा तो मात्र
रामनामाकंन से ही संभव हैं। अंकित रामनाम की प्रदक्षिणा से संभव हैं,
और कोई भी उपाय,साधन,या
अनुष्ठान जासु हैं। उदाहरण, पापों के प्रायश्चित हेतु,
उपदेश दिया
।।जपहु जाय संकर सत नामा।।
शंकर जी को उपदेश दिया कि, जो आपकी शरण आजाये ,उसे ,राम, नाम का उपदेश करो, और
जिसे आप राम नाम का उपदेश करोगे , वो भव तरेगा ही।
रामेति नाम यच्छोत्रे विश्रम्भादागतं यदि। करोति पापसंदाहं तूलं बहिकणो यथा।।
अर्थात् जिसके कानों में राम यह नाम अकस्मात् भी पड जाता है, उसके पापों को वह वैसे ही जला देता है, जैसे अग्नि को चिंगारी रूई को। पद्मपुराण में यह भी लिखा
• अगर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है तो रोज सुबह-शाम 'राम'
नाम का 108 बार जप करने से आराम होता है.
• विवाह संबंधी समस्याएं दूर करने के लिए 'रमापति'
शब्द का जप किया जाता है.
• नौकरी या रोजगार संबंधी समस्याएं दूर करने के लिए 'अवधेश' शब्द का
जप किया जाता है.
• संतान प्राप्ति या
संतान की उन्नति के लिए 'कौशलनंदन'
शब्द का जप और भगवान श्रीराम के बाल रूप का ध्यान किया जाता है.
• शिक्षा संबंधी समस्याओं या शिक्षा में सफलता के लिए 'रघुनाथ' शब्द का जप किया जाता है.
•
अब जरा सोचिए कि जिनके नाम की ही इतनी महिमा है, उनकी
महिमा तो कितनी होगी. इसीलिए तो बड़े-बड़े तपस्वी, महायोगी,
ऋषि-मुनि आदि सभी श्रीराम जी के नाम का जप करते रहते हैं. कई अनुभवी
लोगों का ये कहना है कि अगर आपके मन में श्रीराम जी सदा निवास करते हैं, आप कोई भी कार्य करने से पहले श्रीराम जी का ही ध्यान करते हैं, तो श्रीराम जी हर संकट में आपके साथ बने रहते हैं, साथ
ही किसी न किसी रूप में आकर आपको एक बार दर्शन जरूर देते हैं. “न जाने कौन से गुण
पर दयानिधि रीझ जाते हैं
राम नाम मंत्र बहुत छोटा है लेकिन इसमें छिपी हुई शक्ति बहुत बड़ी है बस जिसे हमें पहचानने की ज़रूरत है।
इन मंत्र का नियमित रूप से जाप
करने से हम अचानक आने वाली दुख और परेशानियों से बच सकते हैं। बस जरूरत है इसे
विशवास के साथ करने की।
Jai shri Ram
ReplyDeleteMantron Ki Akashgana - Mantra Spandan is a beautiful book. The power of Vedic Mantra so clearly explained. I wish I could get it in hard cover.
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